Top sidh kunjika Secrets
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
श्री सरस्वती अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं click here सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥ ५ ॥
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती है.